हरयाणा के ‘एमडीडी ऑफ इंडिया’ एनजीओ द्वारा पूरे देश में बाल विवाह रोकने के लिए खास मुहिम चलाई जा रही है| इसी के तहत बाल विवाह होने की सूचना पर एनजीओ ने विवाह स्थल पर अचानक पहुँचकर 15 साल की जिया (बदला हुआ नाम) की शादी रुकवा कर उसके बचपने को बचा लिया।
दरअसल मामला यह था कि संगठन के एक कार्यकर्ता को एक नाबालिग लड़की की शादी होने के बारे में पता चला। एनजीओ ने तुरंत बाल विवाह निषेध अधिकारी से संपर्क किया और टीम के साथ जिया के घर पहुंचे। वहाँ घर वाले उसकी शादी करने के लिए पूरी तरह तैयार थे और बार-बार विश्वास दिला रहे थे कि लड़की बालिग है। संगठन ने जिया के स्कूली कागजात एवं उम्र प्रमाणपत्र की मांग की तथा लड़की से मिलने की इच्छा जाहिर की। तब तक बारात शादी समारोह में नहीं पहुंची थी।
जब जिया आई तो उसके हाथों और पैरों में मेहंदी लगी हुई थी। 10वीं की मार्कशीट से पता चला, उसकी उम्र 15 साल है। वह बहुत परेशान थी और रो-रोकर कह रही थी कि वह शादी नहीं करना चाहती, लेकिन परिवार 24 साल के लड़के से शादी करने के लिए उस पर दबाव डाल रहा है। संगठन द्वारा जिया व उसकी माता को बाल विवाह निषेध अधिकारी के सहयोग से महिला थाने में ले जाया गया। वहाँ माँ को बाल विवाह के दुष्परिणाम के बारे में बताया गया और उनसे एक एफिडेविट लिखवा कर उसपर दस्तखत करवाए गए।
उन्होने स्वीकार किया कि जब तक जिया 18 साल की नहीं हो जाती, उसकी शादी नहीं करेंगे। संगठन ने परामर्श के साथ साथ उन्हें चेताया भी कि अगर विवाह की उम्र से पहले उसकी शादी कर दी जाती है तो उनके माता व पिता के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी और उन्हें सजा दी जाएगी। उन्हें समझाया गया कि यदि बच्ची पढ़ना चाहती है तो उसे पढ़ाया जाए और उसका अच्छा भविष्य बनाया जाए।
इस प्रकार बाल विवाह की रोकथाम को लेकर चल रहे अभियान के तहत तुरंत कार्यवाही करके बाल विवाह रोका गया।
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